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| चितई गोलू देवता मंदिर का इतिहास ,अल्मोड़ा उत्तराखंड |

चितई गोलू देवता मंदिर का इतिहास--
जय गोलू देवता।

गोल्ज्यू देवता मंदिर चितई उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले से आठ किलोमीटर दूर पिथौरागढ़ हाइवे पर चितई गोलू देवता का मंदिर स्थित है। गोलू देवता को न्याय का देवता भी कहा जाता है।



चितई गोलू देवता को चितई ग्वेल भी कहा जाता है , रोड से कुछ दूरी पर ही एक ऊंचे टीले में गोल्ज्यू देवता का बहुत बड़ा मंदिर है। मंदिर के अंदर गोलू देवता घोड़े में सँवार ओर धनुष बाण लिए गोलू देवता की प्रतिमा है।

यह मंदिर कुमाऊ क्षेत्र के पौराणिक भगवान और काल भैरव के अवतार गोलू देवता को सम्परपित है।

ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण चन्द वंश के सेनापति ने 12 वी शताब्दी में करवाया था।



चितई गोलू देवता का मंदिर घने जंगलो से घिरा हुआ है।
हर साल यहां भारी संख्या में श्रद्धालु यंहा पूजा अर्चना के लिए आते है।

मंदिरो में मन्नत तो सब लोग मांगते है , पर गोलू देवता के मंदिर की बात ही कुछ और है, यहां पर गोलू देवता के मंदिर में केवल चिठ्ठी भेजने से ही मन्नत पूरी हो जाती है इसलिए गोलू देवता को न्याय का देवता कहा जाता है। 

चितई गोलू देवता मंदिर की मान्यताये।

इस मंदिर की मान्यता हमारे उत्तराखंड या पूरे देश नही बल्कि विदेश तक इनकी मान्यता है, इसलिए यहां पर्यटक दूर दूर से दर्शन करने के लिए आते है। इस मंदिर में प्रवेश करते समय आपको चारो ओर घण्टियाँ घंटिया ही दिखगी।

इस मन्दिर में घण्टियों की संख्या इतनी है कि आप गिन भी नही पाओगे यहां छोटी से बड़ी बड़ी घण्टियाँ है, यहां पर टनों में घण्टियाँ चढ़ाई जाती है। कुछ लोग गोलू देवता के मंदिर को घण्टियों वाला मंदिर भी कहते है।




चितई मंदिर में लोगो की मन्नत पूरी होने के लिए भक्त जन लोग यहां अर्जियां लगाई जाती है क्योंकि माना जाता है, की जिन्हें कहि न्याय नही मिलता है वो गोलू देवता की शरण मे जाते है और लोगो का कहना यह भी है कि गोल्ज्यू देवता न्याय करते ही है चाहे कुछ भी हो 
इसीलिए इन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है।
जय गोलू देवता।


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